जयपुर। Rajasthan’s Lal Diary: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर एक दिन पहले ही लाल डायरी के कुछ पन्ने सार्वजनिक करते हुए भ्रष्ट्राचार का आरोप लगाने वाले विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के खिलाफ गुरुवार को पॉक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। बता दें कि गुढ़ा ने खुद को जेल में डाले जाने की आशंका जाहिर की थी।

Rajasthan’s Lal Diary: देर रात ही पुलिस की एक टीम जोधपुर से गुढ़ा के घर पहुंची। हालांकि, पूर्व मंत्री घर पर मौजूद नहीं है। टीम उनका घर पर इंतजार कर रही है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने इस केस को लेकर अधिक जानकारी देने से इनकार किया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनके थाने में राजेंद्र गुढ़ा के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है और इसकी जांच के लिए वे पहुंचे हैं। गुढा की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

Rajasthan’s Lal Diary: क्या है लाल डायरी का राज
बता दें कि बसपा के टिकट पर जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए गुढ़ा कभी गहलोत सरकार के संकटमोचक बने थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों में मुख्यमंत्री से उनके रिश्ते खराब हो गए। बागी तेवर अख्तियार कर चुके गुढ़ा ने पिछले दिनों विधानसभा में यह कहकर सरकार कि किरकिरी करा दी कि मणिपुर की बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। मंत्री रहते हुए अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने वाले गुढ़ा को तुरंत बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने एक लाल डायरी दिखाते हुए दावा किया कि इसमें गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार के सबूत मौजूद हैं।
Rajasthan’s Lal Diary: बीजेपी ने बताया बोफोर्स कांड
इधर बीजेपी राजस्थान में लाल डायरी पर सीएम अशोक गहलोत पर हमलावार हो गई है। बीजेपी ने लाल डायरी को बोफोर्स कांड जैसा बताया है। पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि बोफोर्स के मामले में याद दिलाना चाहता हूं कि राजीव गांधी सरकार के मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने आरोप लगाया था। आज अशोक गहलोत सरकार के मंत्री जिसे चंद घंटों में बर्खास्त कर दिया गया। राजेंद्र गुढ़ा ने आरोप लगाया है। मैं कह सकता हूं यह बोफोर्स जैसा कांड है।

Rajasthan’s Lal Diary: सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मैं यह बात इसलिए गंभीरता से कहना चाहता हूं कि यह विषय केवल एक आरोप नहीं है। यह विषय राजस्थान के एक मंत्री ने उठाया है। मंत्री ने सदन के पटल पर उठाया है। मेरे विचार से संवैधानिक दृष्टि से सरकार के मंत्री द्वारा सदन के पटल पर दिया गया वक्तय सबसे अधिक प्रमाणिक माना जाता है। इससे अधिक प्रमाणिकता राजस्थान सरकार के भ्रष्टाचार की नहीं हो सकती है।