नई दिल्ली। Indian Judicial Code: केंद्र सरकार की ओर से नए क्रिमिनल लॉ को 1 जुलाई 2024 से लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। तीनों नए आपराधिक कानून आईपीसी और सीआरपीसी की जगह लेंगे। इनका नाम भारतीय न्याय संहिता होगा।
Indian Judicial Code: बता दें कि तीनों नए कानूनों को दिसंबर में ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिल गई थी। तीनों कानूनों में भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल है।
Indian Judicial Code: तीनों नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को बदलना है। इससे अंग्रेजों के जमाने के कानून खत्म होंगे और इससे छुटकारा मिलेगा। BNS में राजद्रोह के अपराध को भी समाप्त कर दिया गया है और इसे देशद्रोह में बदल दिया गया है।
Indian Judicial Code: 20 नए अपराध जोड़े गए
Indian Judicial Code: भारतीय न्याय संहिता में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। वहीं आईपीसी में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है। इसके अलावा 33 अपराधों में सजा बढ़ा दी गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों कानूनों को लोकसभा में पेश किया था, तब उन्होंने कहा था कि अब इसके लागू होने के बाद ‘तारीख पर तारीख’ युग का अंत सुनिश्चित होगा और 3 साल में न्याय मिलेगा।
Indian Judicial Code: नहीं चलेगी तारीख पर तारीख, 3 साल में फैसला
Indian Judicial Code: आईपीसी में 511 धाराएं थीं जबकि भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होगी। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी। इनमें 177 धाराओं को बदल दिया गया है जबकि 9 नई धाराएं जोड़ी गई है।
Indian Judicial Code: नाबालिग से दुष्कर्म करने पर फांसी
Indian Judicial Code: नए कानूनों में मॉब लिंचिंग पर हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। साथ ही नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध बताया था। BNS में आतंकवादी कृत्य (जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे कानूनों का हिस्सा थे) भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है।
Indian Judicial Code: इसके अलावा पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में किया गया है। इस तरह के अपराधों के साथ-साथ संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान भी नए कानून में किए हैं।