NATO Annual Summit: NATO rebuked China, said China is main reason for Russia’s strength, Red Army threatened war
नई दिल्ली। NATO Annual Summit: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन यानी (NATO) की 75वीं सालगिरह पर अमेरिका में हुई समिट में चर्चा का मुख्य विषय यूक्रेन पर रूसी आक्रमण रहा। लेकिन, तमाम प्रतिबंधों के बावजूद युद्ध के 2 साल से ज्यादा होने के बाद भी रूस दबाव में आने की बजाय और मजबूत ही होता जा रहा है।
NATO देशों का मानना है कि रूस के मजबूत होने की बड़ी वजह चीन है, जिसने प्रतिबंधों के बावजूद रूस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने नहीं दी है। रूस और चीन की बढ़ती दोस्ती से अब 32 देशों के संगठन नाटो में गहरी चिंता शिखर सम्मेलन में दिखाई दी। नाटो ने अपने डिक्लेरेशन में दोनों देशों के गहरे होते रिश्तों पर चिंता जताई है।
NATO Annual Summit: नाटो के घोषणापत्र के पीछे नापाक इरादे, भड़केगा टकरावः चीन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, नाटो द्वारा यूक्रेन मुद्दे पर चीन की जिम्मेदारी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना ठीक नहीं है। इसके पीछे नापाक इरादे छिपे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर चीन का रुख निष्पक्ष है। चीन ने कहा, रूस के साथ संबंधों को लेकर चीन की घेराबंदी से टकराव भड़केगा।
NATO Annual Summit: घोषणा पत्र में नाटो देशों को बीजिंग से सतर्क रहने की सलाह
NATO ने अपने वाशिंगटन शिखर सम्मेलन घोषणापत्र में कहा, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की महत्वाकांक्षाएं और आक्रामक नीतियां लगातार हमारे हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दे रही हैं। नाटो ने कहा कि रूस और पीआरसी के बीच गहराती रणनीतिक साझेदारी और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने व नया आकार देने के दोनों देशों के प्रयास गंभीर चिंता का विषय हैं…हम सरकार में शामिल और उनसे इतर तत्वों से हाइब्रिड, साइबर, अंतरिक्ष और अन्य खतरों तथा दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में सभी देशों को बीजिंग से सतर्क रहना है।
NATO Annual Summit: क्या है NATO
NATO एक सैन्य संगठन है। नाटो का पूरा नाम उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी (North Atlantic Treaty Organization) है। इसका गठन 1949 में बेल्जियम के ब्रुसेल्स में किया गया था। ब्रुसेल्स (Brussels) में ही इसका मुख्यालय है। उस वक्त अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस समेंत 12 देशों ने मिलकर इसका गठन किया था।
बता दें कि नाटो के पास खुद की सेना नहीं है बल्कि इसकी सेना इसमें शामिल देशों की सेना होती है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी सदस्य देश पर हमला होता है और नाटो उस देश में लड़ाई के लिए उतरता है तो इसका मतलब है कि नाटो में शामिल सभी देशों की सेना उस लड़ाई में एक होकर उतरेगी। यानी तब वो इस देश की सेना ना होकर नाटो की सेना होगी।
NATO Annual Summit: कौन से देश हैं नाटो में शामिल
संयुक्त राज्य अमेरिका (1949)
अल्बानिया (2009)
बेल्जियम(1949)
बुल्गारिया(2004)
कनाडा (1949)
क्रोएशिया (2009)
चेकिया (1999)
डेनमार्क (1949)
एस्तोनिया (2004)
फ़िनलैंड (2023)
फ़्रांस (1949)
जर्मनी (1955)
ग्रीस (1952)
हंगरी (1999)
आइसलैंड (1949)
इटली (1949)
लातविया (2004)
लिथुआनिया (2004)
लक्ज़मबर्ग (1949)
मोंटेनेग्रो (2017)
नीदरलैंड (1949)
उत्तरी मैसेडोनिया (2020)
नॉर्वे (1949)
पोलैंड (1999)
पुर्तगाल (1949)
रोमानिया (2004)
स्लोवाकिया (2004)
स्लोवेनिया (2004)
स्पेन (1982)
स्वीडन (2024)
तुर्किये (1952)
यूनाइटेड किंगडम (1949)