नई दिल्ली। LAC: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के समाधान के तहत सेनाओं की वापसी का कार्य पूरा हो गया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अब ध्यान तनाव कम करने और भविष्य की रणनीति पर होगा। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि ये संबंध पुराने स्वरूप में लौट आएंगे।
LAC: सेनाओं की वापसी: समस्या का समाधान नहीं, केवल एक चरण
जयशंकर ने एक मीडिया हाउस के लीडरशिप समिट में कहा, मैं सेनाओं की वापसी को केवल उनके पीछे हटने के रूप में देखता हूं, न उससे ज्यादा, न कम। यह सिर्फ एक चरण है। उन्होंने बताया कि LAC के निकट सैनिकों की असहज स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाना जरूरी था। 21 अक्टूबर को हुई सहमति के तहत डेमचॉक और डेपसांग में सेनाओं की वापसी का कार्य पूरा किया गया, जिससे करीब साढ़े चार साल बाद दोनों क्षेत्रों में गश्ती गतिविधियां फिर से शुरू हो पाईं।
LAC: जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सेनाओं की वापसी के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करना अगला महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा, यह अनुमान लगाना उचित है कि इससे संबंधों में कुछ सुधार होगा, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि रिश्ते पूरी तरह से पुराने स्वरूप में लौट पाएंगे। जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों की जटिलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल सीमा विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई अन्य कारक भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन संबंधों का भविष्य दोनों देशों की पारस्परिक समझ और विश्वास पर निर्भर करेगा।
LAC: वैश्विक स्थिरता में भारत की भूमिका
एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का राजनीतिक स्थायित्व ऐसे समय में वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है, जब कई देश राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। उन्होंने भारत में तीसरी बार सरकार के निर्वाचित होने को लोकतांत्रिक प्रणाली की शक्ति का प्रमाण बताया। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत पर उन्होंने कहा, यह चुनाव हमें अमेरिका के प्राथमिकताओं और चिंताओं को समझने का मौका देता है। ट्रंप के पहले कार्यकाल की नीतियां खत्म नहीं हुईं, बल्कि और मजबूत हो गई हैं।